दोस्तों हाल ही में किसानो द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेके एक protest किया जा रहा है, जोकि फ़िलहाल दिल्ली तक जा पहुंचा है, और ये protest काफी समय से चल रहा है, जिसमे किसानो की मांग है की उन्हें गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाये। और इस मांग को लेके किसान सड़को पर उतरे हुए है, तो उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानो के हित में फैसला सुनते हुए ट्वीट कर गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का फैसला लिया है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य kya hota hai?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है। यह मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा सिफारिश की जाती है, जो विभिन्न कारकों जैसे कि उत्पादन लागत, मांग और आपूर्ति, बाजार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि पर विचार करता है। एमएसपी का उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना और उन्हें बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाना है।
एमएसपी भारत सरकार द्वारा 23 फसलों के लिए घोषित किया जाता है, जिसमें धान, गेहूं, दलहन, तिलहन और बागवानी फसलें शामिल हैं। सरकार एमएसपी पर फसल खरीदने के लिए विभिन्न एजेंसियों जैसे कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), नैफेड, राज्य सरकार की एजेंसियों आदि को नियुक्त करती है।
गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य-
फ़िलहाल अभी तक जो गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रूपए परतु क्विंटल ( 2023-24 ) था , जोकि सरकार ने बढ़ाकर 2275 रूपए प्रति क्विंटल ( 2024-25 ) कर दिया है, और सरकार ने यह भी कहा है, गेहूं का मूल्य भुगतान PFMS के माध्यम से 48 घंटे के अंदर सीधे आप लोगों के आधार लिंक खाते में आ जायेगा, और इसके लिए, बटाईदार किसान भी इस वर्ष पंजीकरण कराकर अपने गेहूं की बिक्री कर सकेंगे। साथ ही योगी आदित्यनाथ जी ने ये कहा है, की 1 मार्च यानी कल से 15 जून, 2024 तक गेहूं खरीद के दौरान आप लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए भी पूर्ण व्यवस्था कर दी गयी है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इसकी जानकारी अपने अधिकृत twitter account से दी है।
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